कल में जीते आज तक पहुंचा हूँ
और फिर कल में जीते
आज तक ही रह जाऊँगा
इसलिए आज से आज में जीना शुरू किया है |
कभी दर्द के थपेड़ों से तो
कभी खुशियों की बारिश में
ज़िन्दगी ने बहुत मज़े लिए हमसे ,
आज से हमने ज़िन्दगी के मज़े लेना शुरू किया है|
अपना समझा जिसे, उसे बचाने
और बढाने की भाग-दौड़ में
उलझ गयी ज़िन्दगी,
आज से हमने सब अपना लुटाना शुरू किया है|
बेख़ौफ़ खुद्दारी ने
निशाँ छोड़ दिए हर मोड़
कहीं कोई ढूंढता
फिर न आ जाये मुझ तलक ,
आज से अपना लिखा मिटाना शुरू किया है|