कल में जीते आज तक पहुंचा हूँ
और फिर कल में जीते
आज तक ही रह जाऊँगा
इसलिए आज से आज में जीना शुरू किया है |
कभी दर्द के थपेड़ों से तो
कभी खुशियों की बारिश में
ज़िन्दगी ने बहुत मज़े लिए हमसे ,
आज से हमने ज़िन्दगी के मज़े लेना शुरू किया है|
अपना समझा जिसे, उसे बचाने
और बढाने की भाग-दौड़ में
उलझ गयी ज़िन्दगी,
आज से हमने सब अपना लुटाना शुरू किया है|
बेख़ौफ़ खुद्दारी ने
निशाँ छोड़ दिए हर मोड़
कहीं कोई ढूंढता
फिर न आ जाये मुझ तलक ,
आज से अपना लिखा मिटाना शुरू किया है|
bahut si kavitaaye.n aaj tak likh chuke ho,
ReplyDeletekabhi makhau to kabhi so-so ho,
aaj se tumne machana shuru kiya hai!!
ha ha ha
ReplyDeleteHumari mehfil to bas yu.n thi ki hum chiraag ho.n iske...
Miyan! aapne ye sitam dhaya ki sitara ban gaye...
hum bhi sochte he kyo na hum bhi jeena sharu karde, par fir yaad aata he kambakhat maut kahaa bewafa hoti he...???
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