Monday, February 05, 2007

Jeena Shuru Kiya Hai

कल में जीते  आज  तक  पहुंचा  हूँ 
और  फिर  कल  में जीते
आज तक ही  रह  जाऊँगा 
इसलिए आज से आज में जीना शुरू किया  है |



कभी दर्द के थपेड़ों से तो 
कभी  खुशियों  की  बारिश  में
ज़िन्दगी ने बहुत मज़े  लिए  हमसे ,
आज से हमने ज़िन्दगी के मज़े लेना शुरू किया है|


अपना समझा जिसे, उसे बचाने 
और बढाने  की भाग-दौड़ में
उलझ गयी  ज़िन्दगी,
आज से हमने सब अपना लुटाना शुरू किया है| 


बेख़ौफ़ खुद्दारी ने
निशाँ छोड़ दिए हर मोड़
कहीं कोई ढूंढता
फिर न आ जाये मुझ तलक ,
आज से अपना लिखा मिटाना शुरू किया है|

3 comments:

  1. bahut si kavitaaye.n aaj tak likh chuke ho,
    kabhi makhau to kabhi so-so ho,
    aaj se tumne machana shuru kiya hai!!

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  2. ha ha ha

    Humari mehfil to bas yu.n thi ki hum chiraag ho.n iske...
    Miyan! aapne ye sitam dhaya ki sitara ban gaye...

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