मानस के प्रशांत अंतर में-
मौन के बीहड़ सपाट से
दर्द के बुलबुले हैं उभरे।
तस्वीर खींच शब्दों से उसकी,
जो है जन्मी-
कुछ और नहीं, मेरी कविता।
विरह में उगी आँसू की बूंदें
तुमने सोचा- गौण हो गयीं।
औ मिलन की बातें, रातें
तुम समझे- मौन हो गयीं?
उनका अक्षुण्ण प्रतिमान संजोए,
देखो बैठी वो-
कुछ और नहीं मेरी कविता।
बचपन में माँ की थपकी से
उनींदी मेरी पलकें,
औ अब पीढियों की दरार-
उनसे उलझी मेरी बहसें।
क्या कैद करेंगी तकनीकें उनको?
कर सके कोई तो-
बस एक यही, मेरी कविता।
उनींदी मेरी पलकें,
औ अब पीढियों की दरार-
उनसे उलझी मेरी बहसें।
क्या कैद करेंगी तकनीकें उनको?
कर सके कोई तो-
बस एक यही, मेरी कविता।
सौ बातें करते हैं हम,
सौ सुनते हो तुम रोजा़ना;
उन सौ बातों की सौ यादों में,
इस जीवन का कट जाना।
इन सौ यादों की एक याद,
दिल को आहिस्ते छू जाती जो-
कुछ और नहीं, मेरी कविता।
सौ सुनते हो तुम रोजा़ना;
उन सौ बातों की सौ यादों में,
इस जीवन का कट जाना।
इन सौ यादों की एक याद,
दिल को आहिस्ते छू जाती जो-
कुछ और नहीं, मेरी कविता।
Kuchh Aur Nahi,Meri Kavita
Door jagat ke kolahal se
manas ke prashant antar me
maun ke bihad sapat se
dard ke bulbule hain ubhare
tasveer kheench shabdon se usaki-
jo hai janmi-
kuchh aur nahi meri kavita|
virah me ugi aansoon ki boonden
tumne socha gaun ho gayi.n,
au milan ki baatein,raatein
tum samjhe maun ho gayi.n |
unka ek akshunn pratimaan sanjoye,
dekho baithi vo-
kuchh aur nahi meri kavita |
bachpan me maa ki thapaki se
uneendi meri palake.n,
aur ab peedhiyo.n ki darar-
unse ulajhi meri bahase.n
kya kaid karengi taqneeke.n unko!
kar sake koi to-
bas ek yahi- meri kavita|
Sau baatein karte hain hum
sau sunte ho tum rozana |
un sau baaton ki sau yaadon me
is jeevan ka kat jaana |
In sau yaadon ki ek yaad-
dil ko aahiste chhu jaati jo-
kuchh aur nahi, meri kavita|
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ReplyDeleteGood One Yaar..Keep it up..
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